जी हां दोस्तों बहुत ही जल्द आपको यह सूचना मिलने वाली है कि पेट्रोल और डीजल की छुट्टी होने जा रही है और उसकी जगह एथनॉल ले लेगा , हाल ही में खबर आई है कि 2025 से देश के सभी पेट्रोल पंपों और e20 यानी 20% एथनॉल मिश्रित पेट्रोल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है |
इसके लिए एथेनाल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार ने 2021 में 157 राज डिस्टलरी शुरू करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया था इनमें से अब 131 ग्रैंडिस टल्ली शुरू होंगी यह सभी डिक्शनरी जनवरी 2025 तक शुरू हो जाएगी

सरकारी विज्ञप्ति के मुताबिक 2030 तक पेट्रोल में इथेनॉल के 20 प्रतिशत मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए और रसायन एवं अन्य क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए 1,400 करोड़ लीटर एल्कोहल/इथेनॉल की जरूरत होगी।
इसमें से 1,000 करोड़ लीटर की जरूरत 20 प्रतिशत मिश्रण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए और 400 करोड़ लीटर की जरूरत रसायन एवं अन्य क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए होगी।
इस 1,400 करोड़ लीटर की कुल जरूरत में से 700 करोड़ लीटर की आपूर्ति चीनी उद्योग और 700 करोड़ लीटर की आपूर्ति अनाज आधारित भट्टियों को करनी होगी। इससे लगभग 175 लाख मीट्रिक टन अनाज का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
प्रमुख राज्य:
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गन्ना और इथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से तीन राज्यों – उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में होता है। इन तीन राज्यों से इथेनॉल को दूरदराज के अन्य राज्यों में ले जाने पर भारी परिवहन खर्च आता है।
देशभर में नई अनाज आधारित भट्टियां स्थापित करने से देश के अलग-अलग भागों में इथेनॉल का वितरण संभव हो सकेगा और इससे इसके परिवहन पर आने वाला भारी खर्च भी बचाया जा सकेगा।

कहां कितनी डिस्टलरी स्थापित होंगी :
यह यह डिस्टलरी 19 प्रदेशों में बनाई जाएगी जिसमें से सबसे ज्यादा 23 मध्य प्रदेश में बनेंगी,हिंदुस्तान पेट्रोलियम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 2025 में 1016 करोड लीटर एथेनॉल की जरूरत पड़ेगी इसमें 40% हिस्सेदारी अनाज से बनाए गए
मध्य प्रदेश 23, पश्चिम बंगाल 9, बिहार 16, छत्तीसगढ़ 6, हरियाणा 7, हिमाचल प्रदेश 3, दिल्ली एनसीटी 8, पंजाब 5, उत्तराखंड 3
इथेनॉल संयंत्र के बारे में जानकारी:
यह 3 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पन्न करने के लिये लगभग 2 लाख टन चावल के भूसे (पराली) का उपयोग करके भारत के वेस्ट टू वेल्थ के प्रयासों को बढ़ावा देगा।
यह संयंत्र धान के भूसे के अलावा मक्का और गन्ने के कचरे का भी उपयोग एथनॉल के उत्पादन के लिये करेगा।
यह परियोजना संयंत्र संचालन में शामिल लोगों को प्रत्यक्ष रोज़गार प्रदान करेगी और चावल के भूसे की कटाई, हैंडलिंग, भंडारण आदि के लिए आपूर्ति शृंखला में अप्रत्यक्ष रोज़गार उत्पन्न होगा।
इस परियोजना में ज़ीरो लिक्विड डिस्चार्ज होगा।
चावल की भूसी को जलाने में कमी के माध्यम से परियोजना प्रति वर्ष लगभग 3 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड के समकक्ष ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने में योगदान देगी जो देश की सड़कों पर सालाना लगभग 63,000 कारों द्वारा उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों के बराबर है।
इथेनॉल:
परिचय:
यह प्रमुख जैव ईंधनों में से एक है, जो प्रकृतिक रूप से खमीर अथवा एथिलीन हाइड्रेशन जैसी पेट्रोकेमिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से शर्करा के किण्वन द्वारा उत्पन्न होता है।
यह घरेलू रूप से उत्पादित वैकल्पिक ईंधन है जो आमतौर पर मकई से बनाया जाता है। यह सेल्यूलोसिक फीडस्टॉक्स जैसे कि फसल अवशेष और लकड़ी से भी बनाया जाता है।